ट्रंप के टैरिफ से सोना-चांदी पर असर
जब से ट्रंप भइया ने टैरिफ का डंडा घुमाया है, सोना-चांदी की दुनिया में हलचल मच गई। टैरिफ यानी टैक्स बढ़ाने से इंटरनेशनल ट्रेड महंगा हो जाता है, और इससे सोने की मांग बढ़ जाती है क्योंकि लोग रिस्क से बचने के लिए गोल्ड खरीदते हैं। चांदी भी इसका साथी बन जाती है और दोनों के दाम आसमान छूने लगते हैं। भारत में इम्पोर्ट महंगा होता है, तो घरेलू बाजार में कीमतें और ज्यादा चढ़ती हैं।
टैरिफ से फायदा और नुकसान
टैरिफ से फायदा तो अमेरिका को मिलता है, क्योंकि वो बाहर से आने वाले प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाकर अपनी इंडस्ट्री को प्रमोट करता है। लेकिन नुकसान ये कि ट्रेड पार्टनर्स जैसे भारत, चीन, यूरोप वाले भी जवाब में टैरिफ लगा देते हैं। इससे ग्लोबल बाजार में तनातनी बढ़ती है और व्यापार की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। आम जनता को चीजें महंगी मिलती हैं, ये सबसे बड़ा घाटा है।
भारत को नुकसान या फायदा?
भारत को इससे तगड़ा झटका लग सकता है, खासकर अगर अमेरिका भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ा दे। इससे हमारे एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा और कंपनियों को घाटा होगा। हालांकि, कुछ सेक्टर जैसे स्टील या फार्मा को फायदा हो सकता है अगर अमेरिका चीन से दूरी बनाए। लेकिन कुल मिलाकर नुकसान ज्यादा और फायदा सीमित है।
आम जनता पर प्रभाव
जनता का सीधा कनेक्शन जेब से होता है। टैरिफ से जब आयात महंगे होते हैं, तो मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी, कार, तेल जैसे रोजमर्रा के सामानों की कीमतें बढ़ जाती हैं। इसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। बजट बिगड़ता है, खर्चा बढ़ता है और बचत घटती है। मिडिल क्लास सबसे ज्यादा पिसता है।
रोजमर्रा के सामानों में बदलाव
टैरिफ का असर टीवी, फ्रिज, मोबाइल, लैपटॉप, ज्वेलरी, पेट्रोल-डीजल जैसे सामानों पर सीधा पड़ता है। खासकर वो चीजें जो बाहर से आती हैं, उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं। महंगाई बढ़ने से लोग घरेलू सामान या देसी विकल्प की तरफ भागते हैं। इससे लोकल प्रोडक्शन बढ़ सकता है लेकिन फौरन असर महंगाई वाला ही होता है।
अमेरिका को कितना फायदा होगा?
अमेरिका को टैरिफ से दो फायदे मिलते हैं — एक तो टैक्स की कमाई और दूसरा लोकल इंडस्ट्री को प्रमोट करने का मौका। ट्रंप की पॉलिसी “America First” इसी पर टिकी है। लेकिन ये फायदा तभी तक रहता है जब दूसरा देश पलटवार न करे। जवाबी टैरिफ लगते ही फायदों का हिसाब गड़बड़ हो जाता है।
टैरिफ लगाने का कारण क्या है?
ट्रंप ने टैरिफ इसलिए लगाया ताकि चीन जैसी देशों की सस्ती वस्तुओं पर लगाम लगाई जा सके और अमेरिकी कंपनियों को बढ़ावा मिले। उनके हिसाब से विदेशी सामान बहुत सस्ते में घुस आता है और अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को नुकसान होता है। ये एक तरह की आर्थिक देशभक्ति है, लेकिन इसका उल्टा असर पूरी दुनिया पर होता है।
क्या टैरिफ से अंतरराष्ट्रीय मंदी का माहौल बन सकता है?
बिल्कुल! जब दो बड़े देश आपस में टैरिफ की लड़ाई में उलझ जाते हैं तो ट्रेड धीमा हो जाता है। कंपनियां इनवेस्ट नहीं करतीं, बिजनेस मंदा पड़ता है, शेयर मार्केट गिरता है और धीरे-धीरे ग्लोबल मंदी जैसे हालात बनने लगते हैं। पिछली बार ट्रंप-चीन ट्रेड वॉर से ऐसा ही हुआ था।
Shivam90 की सलाह, चेतावनी और निष्कर्ष
देखो भइया, टैरिफ भले ही अमेरिका जैसे देशों के लिए तुरुप का इक्का हो, लेकिन ये दुनिया के बाजार में जहर जैसा फैलता है। भारत को संभलकर चलना होगा, खासकर एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट दोनों के मामले में। सरकार को लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बढ़ाना चाहिए ताकि टैरिफ से कम असर हो। आम जनता को भी समझदारी से खर्च करना चाहिए और देसी विकल्पों को अपनाना चाहिए। अगर ग्लोबल मंदी आती है, तो सबसे ज्यादा असर गरीब और मिडिल क्लास पर पड़ेगा। इसलिए सतर्क रहो, समझदारी से फैसले लो — **"Shivam90"** की यही राय है।
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