वॉशिंगटन सुंदर: एक सीधा-सादा लड़का, जिसने क्रिकेट के मैदान में मचाई धूम
जब भी भारत के युवा क्रिकेटरों की बात होती है, तो एक नाम बड़े गर्व से लिया जाता है – वॉशिंगटन सुंदर। चेन्नई के इस सीधे-सादे लड़के ने अपनी मेहनत, संघर्ष और टैलेंट से दुनिया को दिखा दिया कि असली चमक सोने की नहीं, पसीने की होती है। आज हम बात करेंगे उसी खिलाड़ी की जिसने न बल्लेबाज़ी में कोई कसर छोड़ी और न गेंदबाज़ी में।
शुरुआती ज़िंदगी: गली क्रिकेट से स्टेडियम तक का सफर
वॉशिंगटन सुंदर का जन्म 5 अक्टूबर 1999 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ। इनके पापा खुद क्रिकेट के बड़े फैन थे और उन्हीं की बदौलत सुंदर ने बहुत कम उम्र में बल्ला पकड़ लिया था। दिलचस्प बात ये है कि उनका नाम “वॉशिंगटन” उनके पिता के आदर्श रहे एक व्यक्ति P.D. Washington के नाम पर रखा गया, जिन्होंने सुंदर के पिता की पढ़ाई में मदद की थी। नाम में ही दम था – और ये लड़का बड़ा होकर उसी नाम को ऊंचाई पर ले गया।
कोचिंग और संघर्ष: मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता
सुंदर ने बहुत कम उम्र में ही क्रिकेट को अपना सब कुछ बना लिया था। शुरुआत में वे बल्लेबाज़ थे, पर धीरे-धीरे उनकी गेंदबाज़ी में भी गज़ब का हुनर नजर आया। उन्होंने बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी और दाएं हाथ से ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी में महारत हासिल की। तमिलनाडु के घरेलू टूर्नामेंटों में सुंदर ने अपनी कला दिखाई और जल्द ही चयनकर्ताओं की नजर उन पर पड़ी।
अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहचान
साल 2016 में वॉशिंगटन सुंदर को भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम में जगह मिली और यहीं से उनकी जिंदगी ने नई रफ्तार पकड़ी। उन्होंने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी और टीम इंडिया के लिए एक भरोसेमंद ऑलराउंडर बनकर उभरे।
IPL का जलवा: करोड़ों में बिकी मेहनत
आईपीएल तो मानो सुंदर की किस्मत का दरवाज़ा खोलने वाला प्लेटफॉर्म था। उन्हें राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स ने मौका दिया और उन्होंने शानदार प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। उसके बाद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, सनराइजर्स हैदराबाद और अब गुजरात टाइटन्स जैसी बड़ी टीमें उनकी कीमत समझ चुकी हैं।
उनकी गेंदबाज़ी इतनी कसी हुई होती है कि बड़े-बड़े बल्लेबाज़ भी खुलकर हाथ नहीं चला पाते। और जब बैटिंग की बात आती है, तो सुंदर शांति से रन बटोरते हैं – और ज़रूरत पड़ने पर लंबे-लंबे शॉट भी लगाते हैं।
भारत के लिए डेब्यू और ऐतिहासिक गब्बा टेस्ट
वॉशिंगटन सुंदर ने दिसंबर 2017 में भारत के लिए T20 और वनडे डेब्यू किया। लेकिन असली सुर्खियां उन्हें 2021 के गब्बा टेस्ट से मिलीं। ये वही टेस्ट था जिसमें भारत की आधी टीम चोटिल थी, फिर भी सुंदर जैसे यंगस्टर्स ने ऑस्ट्रेलिया को उसी की ज़मीन पर धूल चटा दी।
सुंदर ने उस मैच में ना सिर्फ विकेट लिए, बल्कि एक शानदार अर्धशतक भी जड़ा। उनकी साझेदारी शार्दूल ठाकुर के साथ टेस्ट इतिहास की सबसे यादगार पार्टनरशिप्स में से एक मानी जाती है। पूरा देश झूम उठा था उस जीत पर और सुंदर हीरो बन गए थे।
विदेशी मैदानों पर भी जलवा
2022 में सुंदर को इंग्लैंड की काउंटी टीम लंकाशायर ने साइन किया। उन्होंने वहां भी अपने टैलेंट का दम दिखाया। ये अनुभव उनके इंटरनेशनल गेम को और भी मजबूत बना गया।
चोटों का सामना और वापसी का जुनून
हर खिलाड़ी की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, और सुंदर भी इससे अछूते नहीं रहे। चोटों ने बीच-बीच में उन्हें रोका, पर उन्होंने हार नहीं मानी। वापसी करते ही उन्होंने फिर से शानदार परफॉर्मेंस दी और दिखा दिया कि सच्चे खिलाड़ी की पहचान गिरने में नहीं, उठकर चलने में होती है।
शांति, अनुशासन और आत्मविश्वास की मिसाल
वॉशिंगटन सुंदर मैदान में जितने शांत रहते हैं, उतने ही अनुशासित भी हैं। न सोशल मीडिया पर दिखावा, न ज्यादा बकबक – बस अपने खेल पर फोकस। यही वजह है कि कोच, कप्तान और साथी खिलाड़ी उन पर भरोसा करते हैं। वो एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो बिना हल्ला मचाए, silently अपना काम करके टीम को मैच जिताते हैं।
फ्यूचर का सितारा
सुंदर सिर्फ आज का नहीं, भविष्य का भी सितारा हैं। भारत को ऐसे ही मैच विनर्स की ज़रूरत है जो हर फॉर्मेट में कमाल कर सकें। उनकी उम्र अभी सिर्फ 25 साल है और उनमें अपार संभावनाएं हैं। अगर फिटनेस बनी रही और इसी तरह सीखते रहे, तो वो भारत के महान ऑलराउंडरों में शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष – वॉशिंगटन सुंदर: नाम भी सुंदर, खेल भी शानदार
वॉशिंगटन सुंदर की कहानी बताती है कि असली चमक हमेशा कैमरे में नहीं, कैरेक्टर में होती है। एक सीधा-सादा लड़का, जो हर दिन मेहनत करता है, अपने खेल को निखारता है और बिना घमंड के भारतीय क्रिकेट को ऊंचाई पर ले जाने की कोशिश करता है – वही वॉशिंगटन सुंदर है।
Post a Comment (0)